डॉ विनीता परमार

डॉ. विनीता परमार पंद्रह वर्षों से अधिक समय से पर्यावरण संरक्षण एवं पर्यावरणीय शिक्षा से जुड़ी हुई है। पर्यावरण विज्ञान में उच्च शिक्षा (पीएचडी), शोध और कार्यानुभव, और विस्तृत जनप्रिय लेखन का अनुभव। हाल के दिनों में बाल मनोविज्ञान को उकेरती कहानियाँ ‘अश्वमेध का घोड़ा’ (पाखी में प्रकाशित), ‘मन की रेख’ (अन्विति में प्रकाशित), रिक्त स्थान (हंस में प्रकाशित) हुईं हैं। साथ ही प्रकृति और पर्यावरण की कहानियाँ ट्रांसलोकेट@82सेमी, धुँआ, टूटती रस्सियाँ आदि प्रकाशित।
चर्चित पुस्तक तलछट की बेटियाँ (कहानी संग्रह) रुद्रादित्य प्रकाशन, प्रयागराज, ‘बाघ: विरासत और सरोकार’ (वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली) से, गर्दन हिलाती मछलियाँ (वनिका प्रकाशन, नई दिल्ली) मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग, बिहार सरकार से प्राप्त अंशानुदान से प्रकाशित; दूब से मरहम (कविता संकलन) बोधि प्रकाशन जयपुर से तथा “धप्पा” (संस्मरण संग्रह) रश्मि प्रकाशन लखनऊ से प्रकाशित। ‘घोषा’ कहानी को वर्ष-2020 पुरवाई कथा सम्मान एवं तलछट की बेटियाँ (कहानी संग्रह) कमलेश्वर स्मृति कहानी सम्मान से सम्मानित। तलछट की बेटियाँ (कहानी संग्रह) को आजतक के साहित्य तक चैनल द्वारा -2022 के टॉप 10 कथासंग्रह सूची में शामिल किया है। बाघ: विरासत और सरोकार’ (वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली) आजतक के साहित्य तक चैनल द्वारा -2023 के टॉप 10 गध्येतर पुस्तकों की सूची में शामिल।
वर्तमान में केन्द्रीय विद्यालय में विज्ञान शिक्षिका के रूप में कार्यरत साथ – ही –साथ सक्रिय लेखन से जुड़ी हुई हैं।
(विनीता परमार)
पी एम श्री केन्द्रीय विद्यालय रामगढ़ कैंट