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    प्रकाशन

    प्रकाशन

    डॉ. विनीता परमार पंद्रह वर्षों से अधिक समय से पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण शिक्षा से जुड़ी हैं। उनके पास पर्यावरण विज्ञान में उच्च शिक्षा (पीएचडी), अनुसंधान और कार्य अनुभव और लोकप्रिय लेखन में व्यापक अनुभव है। हाल ही में बाल मनोविज्ञान को दर्शाती कहानियां प्रकाशित हुई हैं, जैसे ‘अश्वमेध का घोड़ा’ (पाखी में प्रकाशित), ‘मन की रेखा’ (अनविति में प्रकाशित), रिक्त स्थान (हंस में प्रकाशित)। इसके साथ ही प्रकृति एवं पर्यावरण पर ट्रांसलोकेट@82 सेमी, धुन, टूटी रसियां ​​आदि कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं।